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|| मरे कलम से || AJITABH RAJ》

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|| कोमल स्वप्न || ख्वाबों सी कोमल है बड़ी नाजुक, हर ख्वाहिशों सी टूटे ना ये कभी, मेरे हर सपनों सी _________ || ख्वाबों का महल || न जाने ढूंढता रहा यहाँ  कौन सा मुकाम वहाँ ढहता गया अपना मकान _________ || कि अब नहीं इठलायेंगे || दे कर दस्तक तेरी चौखट प र अब नहीं इठलायेंगे कि टूट गई सब घमण्ड, धरी रह गई हर अहंग हे चांद, हर लो तुम्हीं धरा की ये ग्रहण कि फासलों के दरमयां हम नहीं आयेंगे दे कर दस्तक तेरी चौखट पर फिर नहीं इठलायेंगे... During‌_India Suffering with First Lock down due to Epidemic of Corona (April- 2020) _________ || मासूमियत || मासूमियत वहीं खड़ी रह गई और सच्चाई बाजार बन गई न जाने कब, अहंकार इतनी दमदार बन गई कि जिंदगी बेकार और मौतें व्यापार बन गई During_India Suffering with 2nd Lock down due to Epidemic of Corona (2021) ________________________________ || तन्हाई ढूंढते थे हम || कभी भीड़ में  तन्हाई ढूंढते थे हम अब देखो ना पूरी भीड़ ही तन्हा हो गई _________________________ ________________________ || जरा ठहर गया क्या किनारे पर || जरा ठहर गया क्या किनारे पर सब,  कम